Description
रावण संहिता लंकाधिपति दशानन रावण दशों दिशाओं के शासक एवं सर्व विद्या-निधन के साथ-साथ ज्योतिष शास्त्र के प्रकाण्ड विद्वान भी थे। ज्योतिष शास्त्र के अमूल्य रत्न भृगु-संहिता से भी अधिक दैदीप्यमान, विस्तृत एवं पूर्ण है। शिव उपासक रावण रचित संहिता। अभी तक अप्राप्त ग्रन्थ, परन्तु प्रभु की परम अनुकम्पा और आपके भाग्य से आज यह अनुपलब्ध नहीं रहा। पुराण साइज के 1506 पृष्ठ के इस महान ज्योतिष ग्रन्थ में आप पाएंगे संसार के प्रत्येक स्त्री-पुरुष और बालक के साथ-साथ सभी जीवों की कुण्डलियाँ और उनके फलादेश। साथ ही ग्रह-दशाओं, महादशाओं का वर्णन, उनके निवारण के उपाय, तन्त्र शास्त्र एवं यन्त्र-तन्त्र-मन्त्र के प्रयोगों तथा चिकित्सा विज्ञान का विस्तृत विवेचन भी है इस ग्रन्थ में। धर्म में आस्था रखने वाले गुण ग्राहक ज्ञानीजनों, ज्योतिष के गूढ़ रहस्यों को समझने के आकांक्षी ज्योतिषाचार्यों, यन्त्र-मन्त्र-तन्त्र शास्त्र के आराधकों एवं प्राचीन चिकित्सा पद्धति के प्रेमियों के लिए तो यह हस्तलिखित ग्रन्थ परम उपयोगी सिद्ध होगा ही, भक्ति भाव से इसका पठन-पाठन और श्रद्धापूर्वक नमन करने वाले भी मनवांछित सिद्धियों की प्राप्ति कर सकेंगे, ऐसा विश्वास किया जाता है। विपुल श्रम और राशि व्यय करने पर ही इस ग्रन्थ का प्रकाशन संभव हो सका है फिर भी जन-कल्याण और प्राचीन विलुप्त साहित्य को जन-जन में लोकप्रिय बनाने की भावना से इस ग्रन्थ को प्रकाशित किया हैं।