Description
हिन्दुओं की गीता की तरह धम्मपद बौद्धों का सर्वाधिक लोकप्रिय ग्रंथ है। यह बौद्ध साधना और
समर्पण का संग्रह है जिसे बुद्ध की शिक्षाओं की आत्मा का मूर्तिकरण भी कहा गया है। सुत्तपिटक में खुद्दकनिकाय के इस ग्रंथ के पालि संस्करण में 26 वग्गों (पाठों) में विभाजित 423 लयबद्ध पद्य हैं। यद्यपि धम्मपद के कई विद्वतापूर्ण अनुवाद पहले से मौजूद हैं तथापि ऐसा कोई अनुवाद अभी तक नहीं हुआ है जो मूल पालि का शब्दशः अर्थ और वैयाकरणिक व्याख्याएं प्रस्तुत करता हो और इस प्रकार पाठक को प्रत्येक शब्द का अर्थ सीखने का अवसर उपलब्ध कराता हो। ऐसा कोई प्रस्तुतिकरण उन्हें एक ऐसी मूल भाषा का कुछ आनन्द लेने और प्रशंसा करने का एक अवसर भी प्रस्तु करेगा जो अत्याधिक गूढ़ और संक्षिप्त हैं प्रत्येक पद्य के पश्चात् पठनीय हिन्दी में उसका अनुवाद दिया गया है जो संभवतः पद्य के बेहतर अर्थसंग्रह में सहायक होगा। पठनीय अनुवाद करने के क्रम में जो प्रत्येक पद्य का अनुगामी है, उद्देश्य शाब्दिक अर्थ से यथासंभव निकट बने रहने का रहा है और ऐसा करते हुए मुख्य प्राथमिकता सरल स्पष्टता रही है।